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Tuesday 13 October 2020

14,500 फीट की ऊंचाई पर गुलजार हुआ हिमालय, अक्टूबर में भी खिलखिला रहे यहां ब्रह्मकमल

ब्रह्मकमल के फूलों से लकदक यह तस्वीर उत्तराखंड के रूपकुंड के आखिरी बेसकैंप भगुवाशा की है। करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस हिमालयी क्षेत्र में सबसे अधिक दुर्लभ ब्रह्मकमल और नीलकमल खिलते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार यहां लंबे समय तक बारिश होने से ब्रह्मकमल अक्टूबर में भी खिले हुए हैं। तस्वीर के बैकग्राउंड में बर्फ से ढंकी नंदाघूंघटी और त्रिशूल पर्वत हैं।

मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए ब्रह्माजी ने ब्रह्मकमल की रचना की थी। जनश्रुति के अनुसार शिव मां नंदा देवी के साथ यात्रा कर रहे थे, तब नंदा देवी ने अपना वाहन बाघ यहीं छोड़ा था। इसलिए इस जगह को बघुवाशा भी कहा जाता है। हर 12 साल में नंदा देवी राजजात यात्रा इस मार्ग से निकलती है। अब यह यात्रा 2024 में होनी है।

27 किमी की यात्रा में 20 किमी खड़ी चढ़ाई

रूपखंड से बघुवाशा पहुंचने में तीन दिन लगते हैं। 27 किमी की यात्रा में 20 किमी की खड़ी चढ़ाई है। ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है। सालभर तापमान 0 डिग्री, सर्दियों में माइनस 20 डिग्री तक चला जाता है। यहां कस्तूरी मृग, भालू, हिम तेंदुए भी मिलते हैं।



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ब्रह्मकमल के फूलों से लकदक यह फोटो उत्तराखंड के रूपकुंड के आखिरी बेसकैंप भगुवाशा की है। (फोटो- विक्रम तिवारी)


from Dainik Bhaskar

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