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Saturday 10 October 2020

अ‍पने ही इलाके में बहस से नदारद श्याम रजक...और चिराग, नीतीश और भाजपा के बीच दुबला हो रहा फुलवारी शरीफ

ई बिहार है। जेकरा हियां के राजनीति ठीक से बुझा जाता है ना, उसको अन्हार (अंधेरा) घर में भी सब साफ-साफ लउके (दिखने) लगता है। समझे...! आज जो चिराग पासवान एतना फाएं-फाएं कर रहे हैं, उनको अंदाजा है कि रिजल्ट आने के बाद क्या स्थिति होगी? आदमी को ज़्यादा नहीं उड़ना चाहिए !...मटका का कुर्ता और पजामा पहने ये सज्जन एक सांस में इतना सब बोल गए।

जवाब नाई की दुकान में बैठकर अखबार पढ़ रहे चचा ने हौले से अपने अंदाज में दिया। बोले, ‘ई बात त बीजेपी को न कहना चाहिए। ऊ लोग त बोलबे नहीं कर रहा है। बोल भी रहा है तो ऐसे जिससे की सांपो मर जाए और लाठियो ना टूटे! सब कह त यही रहा है कि चिराग और बीजेपी में सेटिंग है।’

बतकही का ये दंगल पटना के फुलवारी शरीफ विधानसभा के फरीदपुर चौक पर छिड़ा है। दिन सात अक्टूबर और दोपहर का समय। अक्टूबर का महीना आ चुका है लेकिन गर्मी कम नहीं हुई है। हमेशा गुलजार रहने वाले इस चौक पर तो कई कोनों पर अलग-अलग गर्मी दिख रही है। मैंने भी एक कोना पकड़ लिया है...यह एक चाय की दुकान है।

नीतीश सरकार में उद्योग मंत्री रहे श्याम रजक यहीं से विधानसभा पहुंचते रहे हैं। अभी दो महीने पहले ही वो जदयू छोड़कर आरजेडी में शामिल हुए। कयास लगाए जा रहे थे कि इसी सीट को बचाने के लिए ही वो जदयू से आरजेडी में आए, लेकिन उनकी पारम्परिक सीट माले के खाते में चली गई है। हो सकता है कि सीट हाथ से निकलने से श्याम रजक दुखी हों, लेकिन यहां चल रही बहस में उनका ज़िक्र अभी तक नहीं आया है।

थोड़ी देर पहले तक लकड़ी की बेंच पर बैठकर अख़बार पढ़ रहे सज्जन, उसी अखबार से हवा करते हुए बोले, ‘सीधी सी बात है। बिहार में नीतीश कुमार से अच्छा सीएम फेस दूसरा नहीं है। पंद्रह साल नीतीश ने अच्छा काम किया है। इसी पर उन्हें वोट मिलेगा और वो फिर से सरकार बनाएंगे। इसमें मुझे तो कोई दुविधा नहीं दिख रही है। पानी से लेकर बिजली और सुरक्षा व्यवस्था सब तो इस आदमी ने ठीक कर दिया। केवल बदलाव के लिए तो बदलाव तो नहीं होना चाहिए न।’

सधे हुए अंदाज में आई इस टिप्पणी ने अब तक हो रही बातचीत का रुख़ पूरी तरह से मोड़ दिया। शुरू में जिन सज्जन ने चिराग पासवान को खरी-खोटी सुनाई थी, वो अब नीतीश की तरफ मुड़ गए। बोले, ‘ई थोड़ा नहीं, बहुत ज़्यादा हो गया। क्या ठीक कर दिए? अपराध होईए रहा है। लूट-मार और बैंक डकैती से अखबार हर रोज भरा रहता है। नल-जल योजना पूरी तरह से फेल है और सबसे ज्यादा तो शराबबंदी फेल हुआ है। घर-घर खुलेआम पहुँच रहा है। पिछले दस साल में किए क्या हैं वो?’

बहस में थोड़ी तल्ख़ी आ गयी है। नीतीश सरकार की तारीफ करने वाले सज्जन ने एक-एक कर ऐसे जवाब देना शुरू किया,जैसे प्रवक्ता हों, ‘अपराध कोइयो सरकार नहीं रोक पाएगी। अभी इस चौक पर हम सब बैठे हैं। हमरा दिमाग ख़राब हो जाए और हम तुमको गोली मार दें तो सरकार क्या करेगी? बचा लेगी तुमको? ई मर्डर रोक लेगी सरकार? नल-जल एक अच्छी योजना है, लेकिन वार्ड और मुखिया मिलकर लूट रहा है।

ई रोकना भी सरकार के बस से बाहर की बात है। हमको-आपको रोकना है लेकिन हमरे भाई मुखिया है, आपका भतीजा वार्ड में है तो कैसे रोकिएगा? बोलिए? नल-जल का पैसा लूटने वाला इंग्लैंड से नहीं न आ रहा है? रही बात शराबबंदी की तो, ऊ त जब तक आपके जैसे शौकीन लोग नहीं मानेंगे तब तक नहीं रुकेगा।’

एक बात नोटिस करने लायक है। शराब और शराबबंदी का ज़िक्र आते ही ज़्यादातर बिहारी मतदाता रोमांचित हो जाते हैं। वो हसेंगे। लजाएंगे लेकिन कभी भी इसका खुलकर समर्थन नहीं करेंगे। शायद यही वजह है कि पूरे बिहार में शराबबंदी के बारे में लोग ‘कहीं बंद नहीं है’ कहते हुए मिल जाएंगे।

चिराग पासवान की राजनीति से शुरू हुई बहस नीतीश तक आकर गर्म हो चुकी है। नीतीश सरकार का बचाव करने वाले सज्जन ख़ुद को इसका विजेता भी मान रहे हैं। हालांकि इस गर्मी ने थोड़ी शांति भी ला दी है। अब मेरे एंट्री लेने का समय आ गया है।

मैंने शांत पड़ती सभा में एक सवाल उछाला, ‘फुलवारी शरीफ से कौन जीतेगा? खुद को विजेता मान चुके और नीतीश सरकार का बचाव कर रहे थोड़ा उम्रदराज सज्जन तपाक से बोले, ‘जदयू का जीत पक्का है। माले-उले का वोट नहीं है हियां। श्याम रजक रहते तो बात दूसरी थी।’

इससे पहले कि वो मुझसे मेरा नाम पूछते, मैंने सीधा सवाल कर दिया, ‘आप जितने अच्छे से नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं, उतने अच्छे से तो जदयू के कई प्रवक्ता भी नहीं कर पाते। एक बात बताइए, अगर बीजेपी और नीतीश में से चुनना हो तो किसे चुनेंगे?’

अपना चश्मा ठीक करते हुए वो बोले, ‘बीजेपी को चुनेंगे। सन 1970 से पार्टी के कैडर भोटर हैं भाई।’ जैसी कि आशंका थी, इस जवाब के साथ ही उन्होंने मेरा नाम, पता पूछ लिया। पता चला पत्रकार हैं तो सब एक साथ हंस पड़े। चिराग पासवान से अपनी बात शुरू करने वाले साहब बोले, ‘अरे! तब त आप खड़े-खड़े सारा रस ले लिए। हम सोच ही रहे थे कि दुकान पर ई नया आदमी कौन है लेकिन आप चुप्पे-चाप बैइठल थे सो नहीं पूछे।’



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Bihar Election 2020; Patna Phulwari Sharif Locals Political Debate On Nitish Kumar Minister Shyam Rajak and Chirag Paswan


from Dainik Bhaskar

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