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Monday 12 October 2020

डोनाल्ड ट्रम्प को दोबारा चुनना सामूहिक पागलपन की तरह है, क्योंकि अनेक अमेरिकियों की जिंदगी और जीवन यापन इस पर ही निर्भर है

आज सबसे अहम सवाल यह नहीं है कि कोविड-19 से मुकाबले के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने क्या सीखा? बड़ा सवाल यह है कि एक नागरिक के तौर पर हमने क्या सीखा, खासकर ट्रम्प के समर्थकों ने? क्योंकि ट्रम्प के खुद के ऊपर चल रही बहस खत्म हो गई है। फैसला यह है कि वह खुद को सुपरमैन समझते रहें, लेकिन वह एक सुपरस्प्रैडर साबित हुए हैं। उनको दोबारा से चुनना सामूहिक पागलपन होगा।

हो सकता है कि आप इसे दूसरे रूप में देखते हों। लेकिन क्या ट्रम्प के पर्याप्त संख्या में वोटर दूसरे रूप में देखते हैं? यह जो बाइडेन की इस काबिलियत पर निर्भर करेगा कि वे उनको उन छोटी-बड़ी चीजों को देखने में मदद करें, जहां पर ट्रम्प ने बुनियादी तौर पर गलती की है।

छोटी चीजों की लिस्ट बहुत लंबी है। महामारी के दौर में सावधानी कमजोरी की नहीं, बल्कि बुद्धिमानी का प्रतीक है। महामारी में फेस मास्क किसी संस्कृति का प्रतीक नहीं, बल्कि यह सुरक्षा की निशानी है। महामारी में मास्क पहनने का विरोध कोई स्वतंत्रता को सुरक्षित करना नहीं है। लॉकडाउन हमारे बोलने या जमा होने के अधिकार को कम करना नहीं है।

वैज्ञानिक राजनेता नहीं हैं और राजनेता वैज्ञानिक नहीं हैं। हमारी इच्छा मास्क या नौकरी नहीं, बल्कि नौकरी के लिए मास्क है। ट्रम्प ने जो बड़ी गलतियां कीं उनमें पहली थी कि देश का नेतृत्व कैसे करें? सामान्य तौर पर हमारे नेतृत्व का गुण गंभीर व्यापार रहा है, लेकिन महामारी में यह जिंदगी और मौत का सवाल बन गया। डोनाल्ड ट्रम्प महामारी में बहुत ही खराब लीडर साबित हुए हैं। एक नैतिक तौर पर लापरवाह नेता।

मूल्य आधारित नेतृत्व को बढ़ावा देने वाली कंपनी एलआरएन के संस्थापक और चेयरमैन डोव सीडमैन कहते हैं कि ‘जब भी अनिश्चितता के सामने जीने की बात आती है तो लोग इसे खास वर्णक्रम में देखते हैं। वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुकाबले जिम्मेदारी और जोखिम उठाने के प्रति लीडर के व्यवहार से उसका आकलन करते हैं।’

सीडमैन कहते है कि अंतिम क्रम में सत्ता और पदों पर बैठे वे लोग हैं, जिन पर लोग जिंदगी बचाने के लिए दिशानिर्देश देने का भरोसा करते हैं। कुछ जिम्मेदारी उठाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि संकट के समय अधिक लोगों को उनकी सलाह की जरूरत होगी। अन्य नेता ऐसा व्यवहार नहीं करते। वे असल में लोगों को विज्ञान को नजरअंदाज करने के लिए उकसाते हैं। ट्रम्प ऐसे ही हैं। आज इसीलिए हमारे सामने नेतृत्व का गंभीर संकट है।

लोग नहीं जानते किसपर भरोसा करें। लेकिन जो नेता जनता के सामने अधिक सच और विश्वास रखते हैं, उन्हें लंबे समय तक याद किया जाता है। लेकिन, ट्रम्प ऐसे नहीं हैं। इसीलिए आज हमारी ज्ञान प्रतिरोधकता, कल्पना और तथ्य में भेद करने की क्षमता और संकट का मिलकर सामना करने की ताकत दांव पर है।

ट्रम्प ने जो दूसरी चीज पूरी तरह गलत की है, वह है कि आप प्रकृति से खिलवाड़ नहीं कर सकते। लेकिन, ट्रम्प ने दुनिया को बाजार के लिए देखा, प्रकृति के लिए नहीं। बाजार संकट में न आए इसलिए वह और उनके सलाहकार वायरस को लगातार कमतर आंकते रहे।

मार्च में व्हाइट हाउस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एक पत्रकार ने ट्रम्प की सलाहकार कैलीन कॉनवे से कहा कि वायरस पर रोक नहीं लग पा रही है तो वह बिफर गईं। कॉनवे ने पलटकर पूछा कि ‘क्या आप कोई वकील या डॉक्टर हैं, जो यह कह रहे हैं कि इस पर रोक नहीं लग पा रही है। यह गलत है। आपने कुछ ऐसा कहा है, जो सत्य नहीं है।’

ट्रम्प और उनके सलाहकार चाहे जो कहें, यह गलत था और प्रकृति ने पूरी दुनिया में इसे फैला दिया। कॉनवे को भी कोरोना हो गया। एक महामारी में प्रकृति आपसे और आपके नेता से तीन मूल प्रश्न करती है।

1. क्या आप नम्र हैं? क्या आप मेरे वायरस का सम्मान करते हैं? यदि नहीं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।

2. क्या मेरे वायरस पर प्रतिक्रिया देने में आपने समन्वय कर लिया है, क्योंकि मैंने इसे किसी व्यक्ति अथवा समुदाय की प्रतिरोधी व्यवस्था को तोड़ने के लिए बनाया है?

3. क्या वायरस पर आपकी प्रतिक्रिया भौतिकी, रसायन या जीवविज्ञान से मेल खाती है? क्योंकि यह सब मैं ही हूं। अगर आपकी प्रतिक्रया राजनीति, बाजार, विचारधारा या चुनावी केलेंडर पर आधारित हुई तो आप विफल हो जाएंगे और समुदाय को भुगतना पड़ेगा। लेकिन ट्रम्प ने ऐसा कुछ नहीं किया और अमेरिका ने इसकी भारी कीमत चुकाई।

ट्रम्प चाहते थे कि हम इस बात पर भरोसा करें कि हमारे पास दो ही विकल्प थे। हम अर्थव्यवस्था को खोलें और वायरस को नजरअंदाज करें, यह वह खुद चाहते थे या फिर अर्थव्यवस्था को बंद करें और वायरस से डरें, जैसा उनके मुताबिक डेमोक्रेट चाहते थे। यह धोखा है।

हम चाहते थे कि अर्थव्यवस्था को सभी सावधानी वाले उपायों के साथ खोला जाए। ताकि लोग बिना बीमार पड़े खरीदारी करें, स्कूल व काम पर जाएं, जैसा बाइडेन का प्रस्ताव था। ट्रम्प चाहते थे कि बिना सावधानी ही अर्थव्यवस्था खोलें। ट्रम्प ने प्रकृति और हमारा दोनों का ही सम्मान नहीं किया।

हम सब अब यही दुआ कर सकते हैं कि पर्याप्त संख्या में ट्रम्प के समर्थकों ने इसे समझ लिया होगा और वे उनके खिलाफ वोट डालेंगे। अनेक अमेरिकियों की जिंदगी और जीवन यापन इस पर ही निर्भर है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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Re-electing Donald Trump is like mass madness


from Dainik Bhaskar

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