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Sunday, 18 October 2020

माता चंद्रघंटा की उपासना से जाग्रत होता है मणिपुर चक्र, इससे आत्मविश्वास के साथ सही निर्णय लेने की मिलेगी शक्ति

नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है।

स्वरूप

देवी के इस चंद्रघंटा स्वरूप का वाहन सिंह है। इस दस हाथ माने गए हैं और यह खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं।

महत्त्व

असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है। इनके पूजन से साधक को तीसरे मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं। सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इससे स्पष्टता, आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे मणियों सरीखे गुण प्राप्त होते हैं।

पूरा देश 14 फरवरी 2019 को पुलवामा के आतंकी हमले को कभी नहीं भूल सकता और न भूलेगा उसके जवाब में 26 फरवरी को पाकिस्तान में घुसकर भारतीय वायुसेना का बालाकोट हमला। ठीक अगले दिन पाकिस्तानी वायुसेना ने बराबरी करने की कोशिश तो की, मगर विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान और उनके साथियों ने उसे पूरी तरह नाकाम कर दिया। विंग कमांडर अभिनंदन ने अपने मिग-21 से कैसे पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 को मार गिराया, यह किसी से छुपा नहीं। मगर, अभिनंदन की इस कामयाबी के पीछे उनकी फ्लाइट कंट्रोलर स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल की सबसे खास भूमिका थी। मिंटी तो मिशन बालाकोट का अंजाम देने वाली भारतीय वायुसेना की टीम का भी हिस्सा थीं।

कहते हैं कि माता चंद्रघंटा की आराधना से साधक योग साधना के तीसरे मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। इससे सही निर्णय लेने का गुण प्राप्त होता है। पाकिस्तानी वायुसेना के हमले के दौरान ऐसे ही सही निर्णय लिए थे स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल ने। अभिनंदन आसमान ने अपने मिग से पाकिस्तानी विमानों को छका रहे थे तो रडार की मदद से जमीन से उन्हें सही सूचनाएं दे रही थीं, स्क्वाड्रन लीडर मिंटी। इस जबरदस्त भूमिका के लिए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। मिंटी यह मेडल पाने वाली देश की पहली महिला हैं।

हमें पता था हमला होगा, उस दिन भीषण युद्ध जैसे थे हालात

स्क्वाड्रन लीडर मिंटी ने 27 फरवरी को पाकिस्तानी दुस्साहस को याद करते हुए बताती हैं, “हम जानते थे कि दुश्मन जवाबी हमला करने की कोशिश जरूर करेगा। भीषण युद्ध के हालात थे। वहां दुश्मन के कई विमान थे और हमारे युद्धक विमान पूरी तरह से उनका मुकाबला कर रहे थे। अभिनंदन और मेरे बीच टू वे कम्युनिकेशन था। मैं उन्हें हवाई हालात के बारे में बता रही थी। मैं उन्हें दुश्मन जहाज की पोजिशन के बारे में बता रही थी। मैंने 26 फरवरी और और 27 फरवरी, दोनों मिशन्स में हिस्सा लिया। “

पाकिस्तानी विमानों के उड़ान भरते ही मिंटी ने भारतीय पायलटों को दे दी थी सूचना

मिंटी ने पाक के एफ-16 विमानों की हलचल देखते ही भारतीयों बेसों पर तैनात मिग-21 बाइसन, मिराज और सुखोई विमानों को अलर्ट कर दिया था। जब विंग कमांडर अभिनंदन एफ-16 गिराने के दौरान एलओसी पार कर गए तो मिंटी ने उन्हें तुरंत लौटने के लिए कहा। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से कम्युनिकेशन जैम किए जाने की वजह से अभिनंदन उनके निर्देश नहीं सुन पाए। उनके मिग-21 बाइसन में एंटी जैमिंग तकनीक नहीं थी। इस ऑपरेशन के बाद सुरक्षा कारणों से मिंटी का नाम गोपनीय रखा गया था।

हरियाणवी छोरी को बचपन से ही था वर्दी का शौक

मिंटी मूलत: हरियाणा के अंबाला शहर की रहने वाली हैं। चार बहन-भाइयों में वह सबसे छोटी हैं। बड़े भाई अरविंद बताते हैं कि मिंटी बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं। उन्होंने 2004 में एयरफोर्स पब्लिक स्कूल से 12वीं पास करने के बाद मेडिकल स्ट्रीम से बीएससी किया। वहीं, 2011 में एसएससी के माध्यम से एयरफोर्स में शामिल हुईं। एयर डिफेंस कॉलेज में वह मेरिट में आईं, जिसके चलते उन्हें एयर फाइटर कंट्रोलर विंग में तैनाती मिली। मिंटी के पति राहुल अग्रवाल बैंकर हैं। भाई अरिवंद का कहना है सेना की वर्दी को लेकर उनके मन में शुरू से ही आकर्षण था। जब वह सातवीं कक्षा में थीं, तो मां का देहांत हो गया। बावजूद इसके अपने परिवार की मदद से मिंटी ने देश में युद्ध सेवा मेडल हासिल करने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया।



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from Dainik Bhaskar

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