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Sunday, 18 October 2020

मुख्यमंत्री नीतीश के गांव में अस्पताल तो है, लेकिन दवा-इलाज नहीं; स्टेडियम तो है, लेकिन वहां ग्राउंड नहीं जंगल-झाड़ है

कल्याण बिगहा...मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांव। मुख्यमंत्री का गांव होने के नाते इसे विकसित होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं है। इस गांव के लोगों की कई शिकायतें हैं। नीतीश कुमार से भी और इस इलाके के विधायक से भी। गांव वालों का कहना है कि इन लोगों ने कोरोना काल में भी कोई सुध नहीं ली। इस बात से गांव के लोग काफी खफा हैं।

कल्याण बिगहा गांव नालंदा जिला के हरनौत विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। हरनौत सीट पर लगातार जदयू के उम्मीदवार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। कैमरे के सामने सब लोग तो नहीं आए पर बगैर कैमरा खूब बोले। वक्त विधानसभा चुनाव का है। वोट मांगने के लिए अब विधायक हरिनारायण सिंह गांव का चक्कर भी लगाने लगे हैं।

भास्कर डिजिटल की टीम मुख्यमंत्री के गांव कल्याण बिगहा का हाल जानने के लिए वहां पहुंची थी। शाम ढल चुकी थी। मंदिर के पीछे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुश्तैनी घर है। यहां कोई रहता नहीं है। घर पर ताला लटका था। गांव में बिजली है, पीने के पानी की भी व्यवस्था है। अच्छी सड़क है। पढ़ाई के लिए स्कूल है। सुरक्षा के लिए पुलिस आउटपोस्ट भी है।

यह सब हुआ नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद। गांव में विकास के इतने सारे काम होने के बाद भी नीतीश कुमार से लोगों की तीन बड़ी शिकायतें हैं।

शिकायत नं. 1: नीतीश के नाम पर दिया वोट, उनके विधायक भी जीतने के बाद गांव नहीं आए
कल्याण बिगहा के लोग स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि नीतीश कुमार की वजह से उन्होंने जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को वोट दिया था। दो बार से उन्हें विधानसभा चुनाव में जितवाया था। लेकिन, जीतने के बाद गांव में कभी विधायक आए नहीं। जब कोरोना वायरस की वजह से हर तरफ परेशानी बढ़ी हुई है, ऐसे गंभीर वक्त में विधायक गांव के लोगों को देखने नहीं पहुंचे। खुद नीतीश कुमार भी नहीं आए। अब चुनाव का वक्त है तो वोट मांगने के लिए आ रहे हैं।

शिकायत नं. 2: रेफरल अस्पताल बनाया, लेकिन ढंग का इलाज नहीं, दवा भी नहीं रहती पर्याप्त
गांव के लोगों की शिकायत है कि नीतीश कुमार ने हमारी सुविधा के लिए रेफरल अस्पताल तो बनवा दिया, लेकिन वहां ठीक ढंग से इलाज नहीं होता है। अस्पताल में दवा भी पर्याप्त मात्रा में नहीं रहती। बेहतर इलाज के लिए दूसरे गांव के अस्पताल में जाना पड़ता है। मुख्यमंत्री भले ही इस गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनका ध्यान यहां पर नहीं है। अगर उनका ध्यान होता तो गांव के लोगों को परेशानी नहीं होती।

शिकायत नं. 3: स्टेडियम तो बनाया लेकिन मेंटेनेंस बगैर जंगल हो गया, युवाओं को नहीं फायदा
तीन साल पहले लाखों रुपए लगाकर कल्याण बिगहा में स्टेडियम बनाया गया। लेकिन, ये स्टेडियम सिर्फ नाम का है। वहां खेलने के लायक स्थिति नहीं है। ग्राउंड के नाम पर जंगल-झाड़ है। किसी प्रकार का कोई मेंटेनेंस नहीं होता है। इसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं है। गांव के युवाओं ने इसे लेकर कई बार नालंदा जिला के अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।

ये नीतीश कुमार का घर है। यहां अक्सर ताला ही लगा रहता है। मुख्यमंत्री कभी-कभी ही यहां आते हैं।

लोगों का दर्द: मुख्यमंत्री जी तक बात पहुंचेगा तब न कुछ होगा
गांव में मंदिर के पिछले हिस्से में ही हाईमास्ट लाइट लगी है। इसकी सारी लाइटें तो नहीं जल रही थीं, पर उसी लाइट की रोशनी में गांव के काफी सारे युवा ठीक नीतीश कुमार के घर के पीछे क्रिकेट खेल रहे थे। बीए की पढ़ाई कर रहे बिट्टू कुमार ने कहा, “स्टेडियम तो नाम का है। उसमें कोई सुविधा नहीं है। जंगल-झाड़ बन गया। बहुत घास उग आया है। किसी से बोलने से क्या फायदा। नीचे का अधिकारी सब काम नहीं करता है। मुख्यमंत्री जी तक बात पहुंचेगा, तब न कुछ काम होगा।”

प्रिंस पटेल भी बीए के छात्र हैं। स्टेडियम को लेकर सरकारी रवैये से प्रिंस भी खफा हैं। ठेठ अंदाज में प्रिंस कहते हैं, “मेंटेनेंस ही नहीं है। 3 साल पहले बना था स्टेडियम। बारिश के दिनों में जाने लायक नहीं रहता है। चंदा करके बालू भरवाने के बाद भी सही नहीं रहा। दो साल हो गया उसमें खेले हुए।”

झांके तक नहीं आया कोई, चुनाव है तो उनके प्रत्याशी आए
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर से दक्षिण में सामने में ही कपड़े सिलने की दुकान है। वहां गांव के ही पप्पू ठाकुर मिले। सवाल पूछते ही सीधे कहा, “हमारे गांव में कोई झांके तक नहीं आया है। हरिनारायण सिंह हमारे विधायक हैं। कोरोना काल में एक दिन भी नहीं आए। जनता मर रही थी, उसे देखने तक नहीं आए। वोट लेने का वक्त आया तो वो अब चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। जनता की समस्याओं और जरूरतों से विधायक को कोई लेना-देना नहीं है।”

यहीं तीन लोग और मिले, जिन्होंने अपना नाम नहीं बताया और उठते-उठते बोल गए, “मुख्यमंत्री साल में तीन बार आया करते थे। इस बार कोरोना काल में झांकने तक नहीं आए। सुविधा के नाम पर लाइट, पानी, रोड तो है लेकिन अस्पताल नाम का है। वहां कोई सुविधा नहीं है।”

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